सोमवार, 8 जुलाई 2019

बादल आए [बालगीत]

काले - काले  बादल आए।
छलनी  में पानी भर लाए।।

महीना है  आषाढ़ का प्यारा।
गरमी करने  लगी  किनारा।।
नभ में बादल  उमड़  रहे  हैं।
संग  हवा  के  घुमड़  रहे हैं।।
भूरे -  गोरे     बादल    छाए।
काले-काले बादल .....

गरज - गरज  कर हमें डराते।
ठंडी    बूँदें    घन    बरसाते।।
बिजली झट चमके सुनहरी।
डर   से   छूटे   देह  फुरहरी।।
कड़क  रही है  बिना  बताए।
काले -काले बादल....

भरे  ताल  सब नाले -  नाली।
छत से  गिरती  तेज पनाली।।
गली सड़क नदियाँ बन जातीं
तिरपालें  आँगन तन जातीं।।
नंगे   हो  हम   खूब   नहाए।
काले -काले  बादल....

बाग - बगीचे   खेत  भर गए।
सूखे से सब  कृषक तर गए।।
हर्षित सब किसान नर-नारी।
इंद्रदेव    ने   विपदा    टारी।।
ले हल - बैल  खेत को धाए।
काले -काले बादल......

वीरबहूटी      रूठ   गई   है।
केंचुआ गिजाई भी न हुई है।।
दीपक  पर  उड़  रहे   पतंगे।
चींटे   निकल   मचाते  दंगे।।
परवाने  के  पर  उग  आए।
काले -काले बादल....

भैंसें - गायें    रेंक    रही   हैं।
अजा-भेड़ सिर बचा रही हैं।।
पंक्षी  खुश  पर  भीगे   सारे।
कब   से  थे  प्यासे  बेचारे।।
'शुभम' मोर पिक शोर मचाए।
काले -काले बादल....

💐शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌿 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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