रविवार, 28 जुलाई 2019

ग़ज़ल


दिल  का  द्वार  तुम्हारे होठ।
कितने दिलकश प्यारे  होठ।।

बदल जाए  जीवन उसका।
जिसको  मिलें करारे  होठ।।

बिन बोले सब कुछ  कह  दें
उर  - उद्गार     दुलारे   होठ।।

हम तो    समझ  नहीं  पाए,
इनका  वार    इशारे  होठ।।

उमड़ा    सागर   जब  भीतर,
दिखा  प्रहार   किनारे होठ।।

आग  लगे जब तन -मन में,
छूटे   आग    शरारे    होठ।।

और  न    कोई   अपना  है,
तेरे 'शुभम'    सहारे  होठ।।

💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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