दिल का द्वार तुम्हारे होठ।
कितने दिलकश प्यारे होठ।।
बदल जाए जीवन उसका।
जिसको मिलें करारे होठ।।
बिन बोले सब कुछ कह दें
उर - उद्गार दुलारे होठ।।
हम तो समझ नहीं पाए,
इनका वार इशारे होठ।।
उमड़ा सागर जब भीतर,
दिखा प्रहार किनारे होठ।।
आग लगे जब तन -मन में,
छूटे आग शरारे होठ।।
और न कोई अपना है,
तेरे 'शुभम' सहारे होठ।।
💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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