डंडी मार तोलता कम।
बोलो हर हर बम बम बम।।
लम्बा तिलक गले में माला।
सोहे तन पर पीत दुशाला।
धनिया में नित लीद मिलाता।
नित्य शिवालय शीश झुकाता।
पकड़े अगर किसी में दम।
बोलो हर हर ....
चम -चम विद्यालय बनवाया।
मोटा शुल्क व्हेल -सी काया ।
रिश्वत से सब काम निबटते।
सौ फीसद वेतन के बचते।
चिकन बीफ औ' रम रम रम।
बोलो हर हर ....
होती यहाँ वेश की पूजा।
खाओ मेवा मिस्री कूजा।
संविधान खूँटी पर टाँगा।
मनमानी का नेक इरादा।
अरबी बंगला कार चमाचम।
बोलो हर हर ....
सब वर्गों से हैं हम ऊपर।
पूजा करो हमारी भूपर।
ठेकेदारी मिली ज्ञान की।
हक़दारी भी हमें दान की।
परदे में वेश्या-गृह हम।
बोलो हर हर ....
बगल कटारी मुँह में राम।
इस कर कागज़ उसमें दाम।
बिना दाम नौकरी हराम।
घर दफ़्तर या सुबहो -शाम।
सब कुछ करने में सक्षम।
बोलो हर हर ....
अधिकारी औ' पुलिस नचाते।
हम हैं नेताजी कहलाते।
पाँच वर्ष में हुआ कमाल।
सात पीढ़ियाँ करें धमाल।
खड़े मंच पर ठोके खम।
बोलो हर हर....
नैतिकता की चादर ओढ़ी।
खून चूसते निर्धन कोढ़ी।
कफनखसोट जौंक के भाई।
जितना पी लें सब निपुनाई।
आँखों में नहीं तनिक शरम।
बोलो हर हर....
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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