प्रभु सबका मंगल करें,
सबका हो कल्याण।
जन जन हर्षितहो सहज,
सबका ही हो त्राण।।
सभी रहें नीरोग जन,
करें परस्पर नेह।
पढ़ें -लिखें शिक्षित बनें,
हो ख़ुशहाली गेह।।
प्रेम नेम की बेल नित ,
बढ़ती रहे अबाध।
बैर भाव मिट जाय सब,
पूरी हों सब साध।।
देश प्रगति- पथ पर चले,
बढ़े ज्ञान विज्ञान।
ललितकला साहित्य का,
बढ़े विश्व गुणगान।।
नारी का सम्मान हो,
बुद्धिमान सब बाल।
दे सुबुद्धि प्रभु जन जनी,
होवे देश निहाल ।।
💐शुभमस्तु!
✍रचयिता©
🎀 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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