गुरुवार, 25 जुलाई 2019

सुमंगलम

  प्रभु  सबका मंगल करें,
सबका     हो   कल्याण।
जन जन हर्षितहो सहज,
सबका   ही   हो   त्राण।।

सभी   रहें   नीरोग  जन,
करें    परस्पर         नेह।
पढ़ें -लिखें शिक्षित बनें,
हो      ख़ुशहाली    गेह।।

प्रेम  नेम    की बेल नित ,
बढ़ती     रहे      अबाध।
बैर भाव  मिट जाय सब,
पूरी  हों     सब     साध।।

देश प्रगति- पथ पर चले,
बढ़े     ज्ञान       विज्ञान।
ललितकला साहित्य का,
बढ़े    विश्व     गुणगान।।

नारी  का    सम्मान  हो,
बुद्धिमान    सब   बाल।
दे सुबुद्धि प्रभु जन जनी,
होवे     देश     निहाल ।।

💐शुभमस्तु!
✍रचयिता©
🎀 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...