गुरुवार, 18 जुलाई 2019

पावस -छवियाँ [छन्द-सायली]

आया
सावन झूम
झर - झर बरसा
बादल धूसर
गरजा।

विरहिन
करे प्रतीक्षा
कब आएँ प्रिय
शान्ति मिले
तब।

लेती
प्रबल झकोरे
बहती सजल हवा
हर  ओर
सुहानी।

खेत
बाग वन
जल  से  पूरित
बरसे बादल।
रिमझिम।

बोले
मोर पपीहा
कोयल का मादक
स्वर गूँजा
मधुरिम।

सरिता
ताल - तलैया
भर -   भर बहते
तोड़ कगारें
रहते।

झींगुर
झनकारें रात
इशारे करते ऐसे
होता सन्नाटा
अद्भुत

पटबीजना
चमकते बहु
इधर उधर नित
रौशन करते
रजनी।

कहें
मोर से
चार मोरनी आकर
तुम नाचो
प्रियतम।

छवि
पावस की
सतरंगी मनभावन पावन
रंग बदलती
'शुभम'।

💐शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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