सुमिरूँ प्रथम गणेश को,
दूजे उमा, महेश।
मातु शारदे ज्ञान दे,
वीर छन्द के वेश।।
|| वीर||
आज़ादी की ख़ातिर जिनने,
अपने शीश दिए कटवाय।
उन्हीं क्रांतिवीरों की पदरज,
अपने सिर हम लई चढ़ाय।।
भारत माँ के वीर लाड़ले,
रक्षा हित रहते तैयार।
घर के मोह न बँधे कभी वे,
सदा साथ रहते हथियार।।
क्रांतिवीर नेता सुभाष जी,
शूर चंद्रशेखर आज़ाद।
तात्या टोपे , लक्ष्मीबाई,
रानी अवन्तिबाई याद।।
नाना साहेब ,कुँवर सिंह भी,
अमर क्रांतिकारी विख्यात।
मंगल पांडेय , राजा नाहर,
राज गुरू, सुखदेव कहात।।
गांधी,बिस्मिल अशफाकउल्ला
भगतसिंह के नाम महान।
ऊधम सिंह , सावरकर आदि,
वासुदेव धड़के की शान।।
लक्ष्य सभी का एक बन गया,
भारत - माता हो आज़ाद।
मार भगाने अंग्रेजों को ,
गूँज उठा घर - घर में नाद।।
शांतिदूत या क्रांतिदूत हों,
राह अलग पर मंज़िल एक।
प्राणों की चिंता न बिल्कुल,
देशभक्ति का जज़्बा नेक।।
रग -रग में था खून खौलता,
बलिदानी वे कहलाये।
रातों रात फिरंगी भागे,
मन में भारी दहलाये।।
मात- पिता वे धन्य हो गए,
जने जिन्होंने वीर-सुपूत।
क्रांति-अग्नि के जो संवाहक,
भारत माँ करती आहूत।।
आस्तीन में साँप छिपे थे,
अपनों को ही डंसने को।
ले उपाधियाँ अंग्रेजों से,
अपनों पर ही हँसने को।।
वे गद्दार आज भी जिंदा,
क्यों उनका विश्वास करें।
रूप बदलकर सरकारों में,
'शुभम' देश का नाश करें।।
💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता
🏹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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