ग़ज़ल गीतिका मुक्तिका,
का दिन है रविवार।
नई - नई रचना करें,
मन में सोच -विचार।।1।।
दोहा मुक्तक माहिया,
ताका हाइकु छन्द।
सोमवार को ही कहें,
सब सज्जन स्वच्छन्द।।2।।
बालकाव्य का शुभदिवस,
होता मंगलवार।
अन्य विधा पर लेखनी -
के कर बंद किवार।।3।।
कवित घनक्षरि के लिए,
निर्धारित बुधवार।
कुण्डलिया मनमोहिनी,
सुघर सवैया सार।।4।।
वृहस्पति गुरु का दिवस है
गाओ सस्वर गीत।
लोकगीत नवगीत में,
रम जाओ मनमीत।।5।।
शुक्रवार को कर दिया,
कवि को तनिक स्वतंत्र।
छंदमुक्त अतुकांत की,
कविता शाबर -मंत्र।।6।।
व्यंग्य लघुकथा लोक की
बहुविध कथा अपार।
बालकहानी संस्मरण,
का है दिन शनिवार।।7।।
कवि कवयित्री पटल के,
कृपया दें यह ध्यान।
मंच तूलिका बहुविधा-
का न घटाएँ मान।।8।।
सीख रहे कविजन सभी,
नितप्रति रचनाकार।
मंच चढ़ें तब त्याग दें,
उर के अहं विकार।।9।।
शाला है यह कार्य की,
साप्ताहिक हित मंच।
विज्ञ समीक्षक नित्य दें,
'शुभम' समीक्षा-पंच।।10
💐शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🏵 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
आदरणीय इस मंच से हम भी जुड़ना चाहते है
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