बुधवार, 17 मई 2023

यमुना तट ● [ दोहा ]

 214/2023

          

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●शब्दकार ©

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कान्हा  यमुना तट  खड़े,  देख रहे  हैं  बाट।

कब तक आएँ राधिका,मन है बहुत उचाट।।

यमुना तट तरुवर खड़े,छाया सघन  कदंब।

झूला झूलें  राधिका, शोभित शाख   प्रलंब।।


झूले  पर हैं राधिका,यमुना तट  पर  बाग।

झोंटा कान्हा  दे रहे,  अपने - अपने   भाग।।

यमुना  तट पर  भीड़ है,  आए बाबा  नंद।

संग  यशोदा   हैं  दुखी,मंद श्वास  के   छंद।।


कंदुक  अपनी  खोजने, कूदे सरिता - धार।

कान्हा  निर्भय हर्ष  में,यमुना तट  कर पार।।

यमुना  तट  पर हर्ष  की,बहने लगी   बयार।

नाग कालिया नाथ कर,करते कान्हा  प्यार।।


गौचारण कर साँझ को,आए नंद  कुमार।

यमुना तट पानी पिएँ,निर्मल बिना विचार।।

यमुना तट मथुरा बसी, नगरी पावन मीत।

हुआ कृष्ण अवतार शुभ,गाता है ब्रज गीत।।


यमुना  तट   वसुदेव  जी, पहुँचे भादों  मास।

अर्द्धरात्रि ले कान्ह को,रुकती भय से श्वास।।

रखे   पाँव  जो  नीर में,यमुना तट  वसुदेव।

बाढ़  घटी सरिधार की,कर कान्हा की सेव।।


'शुभं'कृष्ण पावन किया,यमुना तट सरिधार।

भ्रातृ भगिनि अभिषेक से,करते निज उद्धार।


●शुभमस्तु !


17.05.2023●7.30आ०मा०

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