203/2023
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●शब्दकार ©
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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नाक सदा ऊँची रखें,निज जननी की आप।
जन्म दिया है आपको,उसका बढ़ा प्रताप।।
माँ तो माँ ही नित्य है,घटे न उसका नेह,
संतति की वरदायिनी, मत गहराई माप।
मात-पिता वह बेल हैं,संतति जिनका फूल,
जीवन में तेरे रहे,अमिट उन्हीं की छाप।
सोई गीली सेज पर,दे तुमको सुख - साज,
आजीवन करना तुझे,उस जननी का जाप।
जीवन में होते वही,सफल सुता-सुत मीत,
कर सेवा सम्मान से, जीतें मैया-बाप।
उऋण नहीं होती कभी,संतति जननी पितृ,
करता जो अपमान सुत,स्वयं भोगता शाप।
'शुभं'भक्तिरत मातु की,जन्म दिया जो कोख
जनक नहीं कम जान ले,करना नहीं प्रलाप।
●शुभमस्तु !
14.05.2023◆6.15आ.मा.
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