सोमवार, 1 मई 2023

कनक भू-धूल यहीं हैं 🏕️ [ सजल ]

 182/2023


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●समांत : ऊल ।

●पदांत : यहीं हैं।

●मात्राभार : 24.

●मात्रा पतन : शून्य।

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✍️ शब्दकार ©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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भारत देश महान,महकते फूल  यहीं  हैं।

सदा तिरंगा शान,कनक भू -धूल यहीं हैं।।


बहती   गंगा  धार,  सिंधु, यमुना,  कावेरी,

गोदावरी   महान, नर्मदा - कूल   यहीं   हैं।


उच्च हिमाचल भाल,बना प्रहरी  भारत का,

नित रक्षा की ढाल, सदा अनुकूल  यहीं हैं।


पूजे   जाते  राम,श्याम, बलराम  युगों   से,

जननी  चारों  धाम, जनक आमूल  यहीं  हैं।


आस्तीन   के   साँप, पास में पलते    सारे,

जहाँ  सुमन के बाग,दुखद वे शूल  यहीं  हैं।


तुलसी ,पीपल ,नीम,पूज्य हैं पादप   पावन,

कहें  न नीम हकीम,अर्क के मूल  यहीं  हैं।


संस्कृति 'शुभम्' विराट,रंग हैं विशद हजारों,

गुरु, जननी, पित्राभ,ईश समतूल यहीं   हैं।


🪴 शुभमस्तु !


01.05.2023●7.30आ.मा.

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