रविवार, 14 मई 2023

सावित्री का नाम शेष है● [ दोहा गीतिका ]

 205/2023


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●शब्दकार©

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सावित्री  का नाम ही,बचा शेष  बस आज।

पश्चिम को पहना दिया,नारी ने  अब ताज।।


सत्यवान  के  प्राण जो,लाई यम   से  छीन,

कहाँ वही सवित्रियाँ ,बचा सकें  पति-लाज।।


देवी  वाणी  ज्ञान  की,  दे विद्या  का   दान,

कवि की कविता में बसें, सकल सँवारें साज


कलयुग  की  सवित्रियाँ, कर घूँघट-पट ओट,

नाटक नए  चरित्र का, झपट रहा  बन बाज।


सावित्री  की  अब   नहीं, परिभाषा  प्राचीन,

रिंकी,पिंकी, मारिया, के  नामों   की   गाज।


बाला ,  बाला    से  करे, समलिंगी   सम्बंध,

दैहिक भोगविलास की,मनुज खुजाए खाज।


पंद्रह   प्रतिशत देह के,ढँके हुए   हैं   अंग,

स्वच्छ वायु सेवन करें,विदा नयन से लाज।


प्रकृति बदलती नारि  की,परिणय नारी संग,

गेह - त्याग  फेरे  पड़े,गया  भाड़ में  दाज।


सावित्री  के  दिन गए, फैशन रत  नर नारि,

होटल  में कर  कैबरे,छोड़ बाप  की   छाज।


'शुभम्'  नारि  पर्याय क्या,सावित्री  का  एक,

ढूँढ़ें  भी  मिलना नहीं,नव चरितों  का  राज।


●शुभमस्तु !


14.05.2023◆11.45 आ०मा०

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