गुरुवार, 18 मई 2023

माँ बनाम सास ● [चौपाई ]

 215/2023


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●शब्दकार ©

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सबकी  माँ  जब  इतनी प्यारी। 

बनी सास  क्यों तेज कटारी??

सास    कहाँ   बनती हैं सारी?

सब  बहुओं  की   वे बीमारी।।


बहू  सास जब  बनकर आती।

अपना  असली  रंग दिखाती।।

उसे सास   ने   बहुत   सताया।

शुभ दिन सास बना दिखलाया।।


उसे   सास   ने   रंग   दिखाए।

बहुओं पर चुन-चुन आजमाए।।

सास आज है  विगत वधूटी।

लगता   था तब किस्मत फ़ूटी।।


अब   वह  वही सूत्र अपनाए।

प्रिय सुत को गुलाम बतलाए।

सास -झुंड पनघट पर आया।

किस्सा चुगली का रँग लाया।


पुत्रवधू   की    चुगली  भाए।

सुनने में रस   कितना आए!!

देवी - सी   है   अपनी    बेटी।

बहू लगे   किस्मत  की हेटी।।


माँ बहना सब  साँसें बनती ।

तब पूछो   कैसे   वे  तनती!!

सास -  बहू  दो  बिच्छू पाले।

छेड़ न   छत्ते   बर्रों    वाले।।


सासों का आयात   कहाँ से?

करते हैं किस लोक जहाँ से?

माँ तो माँ है   सबकी  प्यारी।

क्यों हर सास बहू की ख्वारी?


●शुभमस्तु !


17.05.2023◆9.15प०मा०

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