202/2023
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● शब्दकार ©
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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नाकों का नक्काश निराला।
दे नाकों को नया उजाला।।
नए - नए साँचों में ढाले।
नित्य हजारों नाक बना ले।।
रंग किसी का गोरा , काला।
नाकों का नक्काश निराला।।
कोई बगुले तोते जैसी।
बने पकौड़ी बेसन ऐसी।।
सुघर किसी साँचे में ढाला।।
नाकों का नक्काश निराला।।
हथिनी के शावक - सी कोई ।
सदा टपकती रोई - रोई।।
जगह नाक की लगता छाला।
नाकों का नक्काश निराला।।
कोई लोमश वानर वाली।
नथनी बेसर लौंगें डाली।।
नारी - नाक लगाया ताला।
नाकों का नक्काश निराला।।
लंबी सीधी पतली छोटी।
शिमला मिर्ची जैसी मोटी।।
डाले नारी नथनी - माला।
नाकों का नक्काश निराला।।
अपनी - अपनी नाक सँभालें।
नहीं किसी की पकड़ उछालें।।
माता भगिनी भौजी बाला।
नाकों का नक्काश निराला।।
●शुभमस्तु !
13.05.2023◆2.00प.
मा.
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