बुधवार, 17 मई 2023

मैली गीली कथरी ● [नवगीत ]

 212/2023

   

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●शब्दकार©

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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धोए जननी

सुत की सुथरी

मैली गीली कथरी।


सही वेदना

नित नौ मासा

मन में फूली आशा।

एक एक पल 

जीना दूभर

ऊपर- ऊपर श्वासा।।

उपालंभ क्यों

छाँव बनी माँ छतरी।


आई घर में

नई ब्याहुली

चूल्हा अलग जलाए।

लड़े सास से

खूसट बोले

नेंक न  वधू  लजाए।।

कहे ससुर क्या

आँगन में  जा पसरी।


छोटी चादर 

लंबी टाँगें

बाहर पाँव उघारे।

काजल बिंदिया

ला हरजाई

रोवें बारे -बारे।।

किसकी ताकत

तिया सँवारे, बिगरी।


टेढ़ी हो जो

लिपि ललाट की

आती कुलटा नारी।

सास ससुर पति

रोते तीनों

जीवन की लाचारी।

चमक चाँदनी

बनती नागिन बिजुरी।


●शुभमस्तु !


16.05.2023◆5.45प०मा०

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