गुरुवार, 11 मई 2023

वरदान ● [ सोरठा ]

 198/2023

              

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● शब्दकार ©

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्' 

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दिया 'शुभम्' वरदान, कृपावन्त  माँ  शारदा।

पाऊँ कृपा महान,जन्म-जन्म अर्चन  करूँ।।


पाता  है  वरदान, करता जो प्रभु  - साधना।

फिर भी मिलता मान,यद्यपि करे न याचना।।


फल मानव को नेक,बिना कर्म मिलता नहीं।

बिना  साधना  एक, देवों  का वरदान  भी।।


मिलता शुचि वरदान,कर सकार की साधना।

नर परिणाम महान,कब नकार से पा सका।।


सेवा वही सपूत,जनक जननि की जो  करे।

मिलता सुफल अकूत,पाता है वरदान वह।।


परम -पदों का लाभ, गुरु-सेवा  से पा गए।

पीकर अमृत -आभ,पाकर शुभ वरदान वे।।


माँ का ये वरदान,मिला 'शुभम्'को जन्म से।

कविवर श्रेष्ठ महान,बने यशस्वी काव्य का।।


दिए जननि, गुरु, तात,फलीभूत वरदान वे।

मेरा शुभद प्रभात,उनसे ही तन -मन बना।।


कर गुरु माँ की मीत, सच्चे मन से साधना।

मिले सदा ही जीत,मिले पितृ वरदान  भी।।


मिलता  उनको शाप,होता पूत  कपूत जो।

करता है जो पाप,छीन सके वरदान क्या??


पाऊँ मैं वरदान,जन्म-जन्म पितु जननि का।

नित आशीष महान,गुरुवर दें नवज्ञान  का।।


●शुभमस्तु !


11.05.2023◆10.00आ.मा.

                

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