बुधवार, 17 मई 2023

ग्रीष्म -दोहोपहार ● [ दोहा ]

 213/2023

 

[लू,लपट,ग्रीष्म,प्रचण्ड,अग्नि]

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● शब्दकार ©

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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            ● सब में एक ●

ज्येष्ठ मास में लू चलें,सर-सर तप्त बयार।

आम  पके  पीले पड़े,मुख में आए   लार।।

धरती,अंबर,जीव,जड़,लू से तप्त  अधीर।

भोर हुआ  सूरज तपे,चले भानु  के  तीर।।


लपट ज्येष्ठ की धूप की,असहनीय  है मीत।

शेष नहीं तृण भर कहीं,अम्बु कणों की तीत।

ठंड लपट तव कान से,घुसती  है ज्यों तीर।

वसन कान से बाँधिये, सके न उनको  चीर।।


दिनकर उपकारी बड़ा,तपता ग्रीष्म अपार।

लक्षण हैं शुभ वृष्टि के,षडऋतु का आधार।।

षड ऋतुओं में ग्रीष्म का,यह पावन संदेश।

सबका  प्राणाधार  है,सूरज का   परिवेश।।


तपता सूर्य प्रचण्ड जब,फैला किरणें तेज।

सागर   से  बादल   बनें,  देते वर्षा   भेज।।

प्रकृति कभी प्रचण्ड है,कभी सौम्य साकार।

षडऋतु  शोभा देश की,जीवन का आधार।।


पंचतत्त्व में अग्नि का, है महत्त्व  सविशेष।

नहीं किसी से नेह है, नहीं किसी  से  द्वेष।।

अग्नि,धरा,जल,वायु नित,पंचम है आकाश।

हैं प्रत्यक्ष सब देवता,हर जीवन  के  श्वास।।


            ● एक में सब ●

ग्रीष्म   मास   में   लू लपट,

                        करतीं    रूप   प्रचंड।

बरसाती    हैं  अग्नि  को,

                          बनतीं नित बरिबंड।।


●शुभमस्तु !


17.05.2023◆6.30 आ०मा०

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