शुक्रवार, 12 मई 2023

दूरी का औचित्य ● [ कुंडलिया ]

 200/2023


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●शब्दकार ©

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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                        -1-

दूरी  नित उनसे  रखें, 'सु'-आस्तीन के साँप।

पाल  रखे  जो  पास  में, लेना उनको भाँप।।

लेना  उनको  भाँप,  समय  पर  धोखा  देते।

रहें   काँपते   आप,   शांति  से  अंडे   सेते।।

'शुभम्' मीच के नाग,भंगिमा तन  की   भूरी।

मुखर  उगलते   आग, बनाना इनसे    दूरी।।


                        -2-

दूरी  लाखों  मील  की,फिर भी  देता  ताप।

सविता  अंबर  में  रहे, अपरिसीम है  माप।।

अपरिसीम है माप,ग्रीष्म पावस, कुसुमाकर।

शरद, शिशिर, हेमंत,सभी का सूत्र सुधाधर।।

'शुभम्' मात्र   है  भानु, करे वांछा  सब  पूरी।

पंच  तत्त्व   में  एक,  करोड़ों मीलों    दूरी।।


                        -3-

दूरी   दुर्जन  से  रखें, सदा सुरक्षित   आप।

संत जनों को जानिए,सागर सौम्य  प्रताप।।

सागर सौम्य प्रताप,सुगंधित सुमन समझना

भाव प्रवण संलाप,स्वार्थ से मुक्त परखना।।

'शुभम्' सहायक नित्य,चलाते कभी न छूरी।

संतों का औचित्य, जगत में रखें   न  दूरी।।


                        -4-

दूरी  उर  से  बीच  की,उर में बढ़ी   अपार।

चिंता  अपनी   ही  रहे,  टूट  रहे  दृढ़ तार।।

टूट  रहे दृढ़  तार, पुत्र  भूला पितु   जननी।

बस पैसे से प्यार,लेश अब बात न  बननी।।

'शुभम्'  न  सेवा  -भाव, करे इच्छा जो पूरी।

परजीवी   संतान, बाप  से  सुत  की  दूरी।।


                        -5-

दूरी  का  औचित्य  है, हृदय- हृदय के बीच।

दूरी  जब  घटने  लगी, आए उभय  नगीच।।

आए  उभय नगीच,दिए अवगुण  दिखलाई।

पकड़   खींचते  टाँग, खटाई पड़ी   मिताई।।

'शुभम्' न  आना  पास, मिलेंगे  रिश्ते  धूरी।

अंतराल कुछ ठीक,उचित उर- उर में दूरी।।


●शुभमस्तु !


12.05.2023◆11.30आ.मा.


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