सोमवार, 19 जून 2023

शब्दों में क्यों पिता समाए ● [ चौपाई ]

 265/2023


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●© शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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शब्दों  में  क्यों  पिता समाए।

कोई  तो   यह  बात  बताए।।

पिता  बिना  जीवन क्या मेरा।

अंश  भानु  का   पुत्र  सवेरा।।


नहीं  पिता  को जिसने जाना।

कहाँ ईश को  उसने   माना??

अंश  पिता संतति  है   अंशी।

जिससे  बजती जीवन-वंशी।।


महाकाव्य   हैं   पिता  हमारे।

पितु कारण हम कार्य तुम्हारे।।

बिना पिता यह जीवन रीता।

एक - एक पल उनसे बीता।।


पिता  आप अवनी पर लाए।

खेले  - कूदे    मोद   मनाए।।

बचपन ,यौवन ,जरा  हमारी।

सदा समर्पित  सादर  सारी।।


मात -पिता  से घर कहलाया।

पाकर सुत नव मन बहलाया।

अँगुली पकड़ सिखाते चलना।

गिर जाने पर फिर से उठना।।


गुरु आदर्श  पिताजी  - माता।

भगवत नित तुमको है ध्याता।

ईश्वर   को   देखा   है     मैंने।

पिता   सिखाते   थामे   डैने।।


समझें   तो   घर  - घर   में ईश्वर। 

पिता-जननि नित 'शुभम्'धीर धर।

चरणों  में    शुभ   अर्घ्य   तुम्हारे ।

पथ   प्रशस्ति   दें    पिता हमारे।।


●शुभमस्तु !


19.06.2023◆11.00आ०मा०

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