238/2023
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●शब्दकार ©
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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अक्षर अथवा शब्द में,माँ का कहाँ निवास?
'शुभम्'नहीं यह जानता, किंतु अटल विश्वास।।
मैं माता की कोख में, या माँ मेरे शीश,
अंतर तम में दे रहीं, शुभदा विमल उजास।
माँ प्रत्यक्ष देखी नहीं, प्रसरित तन-मन ज्योति,
बीजांकुर कैसे उगा, करता नित्य विकास।
माँ मेरे हाथों कभी,अहित न हो कण एक,
मनसा , वाचा, कर्मणा, रहे उपकृत ग्रास।
काव्य-सृजन से विश्व में,हो माँ का गुणगान,
जनहितकारी कर्म से,भर दे कवि उल्लास।
भाव नहीं उपजा कभी,और दे सके कौन,
वाणी माँ शुभकारिणी,भरतीं शब्द-विलास।
जन्म-जन्म में साधना,करे 'शुभम्' आशीष,
भगवत को देना यही,एक यही बस आस।
●शुभमस्तु !
03.06.2023◆7.45प०मा०
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