283/2023
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
●©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
आगे राजा पीछे रानी।
चली आ रही यही कहानी।
मधु - माधव वसंत मदमाता।
ऋतुओं का राजा आ छाता।।
शीत न गरमी बरसे पानी।
आगे राजा पीछे रानी।।
खिलते फूल हँसीं सब कलियाँ।
करें तितलियाँ भी रँगरलियाँ।।
पुष्प - पराग लुटाए दानी।
आगे राजा पीछे रानी।।
जेठ - अषाढ़ लुएँ हों भारी।
तपन घाम की फैले सारी।।
आँधी में उड़ जाती छानी।
आगे राजा पीछे रानी।।
तपे निदाघ जेठ में बेढब।
कष्ट झेलते जड़ - चेतन तब।।
बड़े - बड़ों की मरती नानी।
आगे राजा पीछे रानी।।
सावन भादों पावस आती।
झरतीं बुँदियाँ भर औलाती।।
खूब बरसता है तब पानी।
आगे राजा पीछे रानी।।
'शुभम्' तभी सब हर्षित होते।
लगा लगा पानी में गोते।।
सुखी हो रहे सारे प्रानी।
आगे राजा पीछे रानी।।
●शुभमस्तु !
30.06.2023◆2.45प०मा०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें