270/2023
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● © शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
नीचे सपरेटा
ऊपर तैरती मलाई,
'भक्तों' की भीड़
देख-देख खिलखिलाई।
-2-
सोना रखा
रह गया घर में,
हीरे की चमक
रही बाहर ही दिखाई।
-3-
लगी हुई
घर में आग,
जाकर कहीं और
जल - झड़ी
बरसाई।
-4-
हमारे
कानों को,
ढोल दूर के
बड़े ही मनोरम
देते सुनाई।
-5-
पीते हैं जो स्तन्य
हो गए हैं धन्य,
झाँकते नहीं भीतर
सत्य देता नहीं दिखाई।
●शुभमस्तु!
23.06.2023◆6.45आ०मा०
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