256/2023
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● ©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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भूखे प्यासे नन्हे बालक।
होंगे कैसे इनके पालक!!
तन पर फ़टे वसन सब धारे,
दीन - हीन घर के संचालक।
भोजन नहीं पेट भर पाते,
बने सुखद भावी के घालक।
लिपि ललाट की कैसी इनकी,
नहीं देखता जग का चालक।
देख दया आती है इनको,
उर करता है मेरा धक-धक।
कोई बैठा बोरा ओढ़े,
मैले - कुचले बैठे नाहक।
'शुभम्' न दें प्रभु कहीं गरीबी,
बन जाए यों जीवन जालक ।
●शुभमस्तु !
13.06.2023◆11.15 आ.मा.
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