शुक्रवार, 30 जून 2023

आ गई जुलाई ● [बाल गीतिका]

 282/2023

        

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●©शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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जून विदा  आ  गई   जुलाई।

ऋतुओं की रानी अब आई।।


नहीं धूप    लू    गरम हवाएँ,

हुई  तपन की  पूर्ण    विदाई।


रिमझीम -रिमझिम बूँदें झरतीं,

दीवारों   पर   जमती    काई।


हैं   प्रसन्न नर  -नारी हम सब,

पशु -पक्षी में   खुशियाँ  छाई।


नदियाँ नाले भर -  भर चलते,

गड्ढे   भरे   भरी   सब   खाई।


हरे -  हरे   अंकुर   उग   आए,

शुष्क पेड़ लतिका   हरिआई।


इधर    बोलते  मोर    मनोहर,

उधर    रागिनी   कोयल गाई।


'शुभम्'  सभी ने   हर्ष मनाया,

कहते सब शुभ    वर्षा   आई।


●शुभमस्तु !


30.06.2023●2.00प० मा ०


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