282/2023
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●©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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जून विदा आ गई जुलाई।
ऋतुओं की रानी अब आई।।
नहीं धूप लू गरम हवाएँ,
हुई तपन की पूर्ण विदाई।
रिमझीम -रिमझिम बूँदें झरतीं,
दीवारों पर जमती काई।
हैं प्रसन्न नर -नारी हम सब,
पशु -पक्षी में खुशियाँ छाई।
नदियाँ नाले भर - भर चलते,
गड्ढे भरे भरी सब खाई।
हरे - हरे अंकुर उग आए,
शुष्क पेड़ लतिका हरिआई।
इधर बोलते मोर मनोहर,
उधर रागिनी कोयल गाई।
'शुभम्' सभी ने हर्ष मनाया,
कहते सब शुभ वर्षा आई।
●शुभमस्तु !
30.06.2023●2.00प० मा ०
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