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✍️ शब्दकार ©
🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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हर, हर ,शंभु , महेश, पुरारी।
करें वंदना हम त्रिपुरारी।।
अज,अंनत, शिव नाथ हमारे।
कृपा-करों से किरण पसारे।।
विनय सुनें श्रीकंठ हमारी।
हर,हर ,शंभु, महेश पुरारी।।
तुम सर्वज्ञ,भव,अनघ अनीश्वर
शर्व, कपर्दी, भीम , महेश्वर।।
हरें पिनाकी विपदा सारी।
हर ,हर, शंभु, महेश, पुरारी।।
सोम, सदाशिव,भर्ग, जटाधर।
अव्यय,तारक,हे करुणाकर।।
सहस्रपाद हम शरण तुम्हारी।
हर, हर, शंभु, महेश, पुरारी।।
उग्र , त्र्यम्बक, हे मृत्युंजय।
अज शाश्वत कवची हे स्वरमय।
महादेव , अघ संकटहारी।
हर, हर , शंभु, महेश, पुरारी।।
गिरिधन्वा, कामारि, यज्ञमय।
वीरभद्र,हवि,हरें जगत भय।।
शूलपाणि, शंकर , भयहारी।
हर,हर ,शंभु ,महेश, पुरारी।।
सुरसूदन, अव्यक्त ,दिगम्बर।
त्रिलोकेश ,स्वामी, विश्वेश्वर।।
सुखी रहें जग के नर - नारी।
हर,हर,शंभु ,महेश , पुरारी।।
जगतव्याप्त,गुरु जगत, नियंता।
वंदन करें भक्त जन संता।।
'शुभम' तुम्हें भजता शुभकारी।
हर, हर, शंभु, महेश, पुरारी।।
🪴 शुभमस्तु !
०२.०८.२०२१◆१.१५ पतन म मार्तण्डस्य।
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