मंगलवार, 24 अगस्त 2021

लहँगे का भाई: प्लाजो 🧣 [ बालगीत ]

 

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✍️ शब्दकार©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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पाजामे   का   नव   अवतार।

प्लाजो  आया तज सलवार।।


नए  रूप   में   बड़ा  निराला।

रंग - बिरंगा    नीला  काला।।

नीचे - ऊपर   सम   आकार।

प्लाजो  आया तज सलवार।।


पहन रहे थे  अब तक पापा।

मम्मी  भी  खो बैठीं  आपा।।

छिड़ी  एक दिन   मीठी रार।

प्लाजो आया तज सलवार।।


सट - सट टाँगें घुस जाती हैं।

पहन  उसे  वे   इतराती  हैं।।

पाजामे  की    करके    हार।

प्लाजो आया  तज सलवार।।


अब न उन्हें साड़ी भी भाती।

प्लाजो पहन नहीं शरमाती।।

गज भर चौड़ा  है   आकार।

प्लाजो आया तज सलवार।।


'शुभम' कहे  लहँगे का भाई।

पहन  रहीं  अब  नई लुगाई।।

होगी अब न   टाँग- तकरार।

प्लाजो आया तज सलवार।।


🪴 शुभमस्तु !


२४.०८.२०२१◆३.१५ 

पतनम मार्तण्डस्य।


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