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✍️ शब्दकार©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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पाजामे का नव अवतार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
नए रूप में बड़ा निराला।
रंग - बिरंगा नीला काला।।
नीचे - ऊपर सम आकार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
पहन रहे थे अब तक पापा।
मम्मी भी खो बैठीं आपा।।
छिड़ी एक दिन मीठी रार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
सट - सट टाँगें घुस जाती हैं।
पहन उसे वे इतराती हैं।।
पाजामे की करके हार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
अब न उन्हें साड़ी भी भाती।
प्लाजो पहन नहीं शरमाती।।
गज भर चौड़ा है आकार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
'शुभम' कहे लहँगे का भाई।
पहन रहीं अब नई लुगाई।।
होगी अब न टाँग- तकरार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
🪴 शुभमस्तु !
२४.०८.२०२१◆३.१५
पतनम मार्तण्डस्य।
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