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✍️ शब्दकार ©
🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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शिव शंकर की जय -जय बोल।
आओ सभी बजाएँ ढोल।।
शिव - पत्नी हैं गौरी माता।
जो भी मन से उनको ध्याता।।
मिलते हैं आशीष अमोल।
शिव शंकर की जय - जय बोल।।
गौरी माँ के राज दुलारे।
गणपति महासेन दो प्यारे।।
जानें मात - पिता का मोल।
शिव शंकर की जय -जय बोल।।
रहते शिव कैलाश - धाम में।
ध्यान सदा प्रभु श्री राम में।।
जपता है पूरा भूगोल।
शिव शंकर की जय - जय बोल।।
प्यारा वाहन नंदी उनका।
बाघम्बर ही कपड़ा तन का।
भस्म लपेटे रहते डोल।
शिव शंकर की जय - जय बोल।।
सिर पर गंगा चंद्र विराजे।
सर्प कुंडली तन पर छाजे।।
'शुभम' भाँग पीते नित घोल।
शिव शंकर की जय - जय बोल।।
🪴 शुभमस्तु !
०३.०८.२०२१◆७.४५पत नम मार्तण्डस्य।
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