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✍️शब्दकार ©
👑 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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ख़ुशी बहुत हमको हुई,सुना सुखद निष्कर्ष।
बिना पढ़े उत्तीर्ण सब,छाया मन में हर्ष।।
कोरोना के सत्य ने, दिया सुघर उपहार,
शिक्षा को भिक्षा मिली,स्वेद रहित उत्कर्ष।
गर्दभ,खच्चर ,अश्व की,लुप्त हुई पहचान,
सीना ताने सिंह - सा , मेरा भारतवर्ष।
पेड़ा खोए का मधुर,देता मुख में स्वाद,
फूलों का गलहार है,पर मन में अपकर्ष।
ओलम भी लपकी नहीं, ओलंपिक-सी जीत,
आग लगाती जहन में,जागा हृदय अमर्ष।
सिफर लगा नौ पर जहाँ,गले नौलखाहार,
मिला उच्च सोपान भी,सफ़ल हो गया वर्ष।
'शुभं'धन्य सब ही हुए,दम्पति शिक्षक छात्र,
चुम्बकवत बढ़ने लगा,तन मन का आकर्ष।
🪴 शुभमस्तु !
०७.०८.२०२१◆८.१५ पत नम मार्तण्डस्य।
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