मंगलवार, 31 अगस्त 2021

गोल कटोरा 💙 [ बाल कविता ]


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✍️ शब्दकार ©

💙 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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गोल   कटोरा   जैसा   ऊपर ।

औंधा   लेटा   है  नभ भूपर।।


नभ  का  नीला  रँग है न्यारा।

लगता  है आँखों को  प्यारा।।


दिन में  चमकें   सूरज  दादा।

करते उजले  दिन का  वादा।।


भरी  रात   में   चंदा   मामा।

उजली करते हैं नित यामा।।


तारे  भी   सँग   में  आते  हैं।

टिम-टिमकर नभ में छाते हैं।


दिन  में   पंक्षी   उड़ते   सारे।

वृक्षों  पर  कुछ नदी किनारे।।


घर, मीनारें   नभ   के   नीचे।

दृष्टि  हमारी   ऊपर   खींचे।।


नदियाँ, पर्वत,  खेत  हज़ारों।

मंदिर  दिखते  गाँव  बजारों।।


सागर  भी  है  नभ   के नीचे।

'शुभम'रात दिन उसको सींचे।


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 शुभमस्तु !


३१.०८.२०२१◆२.३० पतनम मार्तण्डस्य।

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