बुधवार, 4 अगस्त 2021

श्री गणेशार्चन 🛕 गीत

 

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

✍️ शब्दकार ©

🛕  डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

जय      गणेश    तव    महिमा  न्यारी।

वंदन       हम       करते     भयहारी।।


शिवगौरी      सुत,      हे   गण नायक।

एकदंत,        नंदन  ,     शुभ  दायक।।

प्रथम         पूजते     सब   नर - नारी।

जय      गणेश    तव    महिमा  न्यारी।।


हे       गजकर्ण ,    शुभम ,   मृत्यंजय।

विघ्नहरण  ,     विघ्नेश्वर ,  जय- जय।।

तरुण  ,      वरप्रद,      नित शुभकारी।

जय     गणेश    तव    महिमा  न्यारी।।


वक्रतुंड     ,            अवनीश,  गदाधर।

कपिल , कीर्ति,   हे   अमित,  कृपाकर।।

हम      हैं     प्रभुवर      शरण तुम्हारी।।

जय     गणेश      तव    महिमा न्यारी।।


पुरुष,       प्रमोद,      सुमुख , पीताम्बर।

गणपति ,             लंबोदर ,   प्रथमेश्वर।।

अर्चन             वंदन         तुम्हें   हमारी।

जय       गणेश     तव    महिमा  न्यारी।।


भालचंद्र ,               शांभवी ,  गजानन।

शशिवर्णम,        प्रभु     मूषक    वाहन।।

मंगलमूर्ति,             'शुभम'  सुखकारी।

जय      गणेश     तव   महिमा  न्यारी।।


🪴 शुभमस्तु !


०४.०८.२०२१◆४.१५पत  नम मार्तण्डस्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...