रविवार, 8 अगस्त 2021

हरियाली मावस 🪴🌳 [ दोहा - गीतिका ]

 

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

✍️शब्दकार ©

👑 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

श्रावण श्यामल पक्ष की, मावस है हर ओर।

नयनों   को  आनन्द दे,हुई सुनहरी   भोर।।


हरियाली   मावस  मना, पौधा  रोपें   एक,

हरा - हरा  हर  ओर  हो,नाच उठे  मन मोर।


ऋतु रानी बरसात का,अद्भुत समा   सुकांत,

विरहिन खोई याद में,कसक उठा तन-पोर।


छाए  बादल  शून्य में,कड़की बिजली   खूब,

गरज-गरज बरसे जलद,मोर मचाते  शोर।।


निज पितरों को याद कर,यथाशक्य कर दान

शुभाशीष  पाएँ  सभी,उर में जगा   हिलोर।


पीपल, वट, तुलसी लगा,पाएँ पुण्य  प्रताप,

कदली  रोपण उचित है,धरती है  नम घोर।


प्रकृति पुरुष संतुष्ट हों,'शुभम'आज का वार,

दान  करें  पौधे  सभी,दिखा न  गौरव - रोर।


🪴 शुभमस्तु !


०८.०८.२०२१◆८.४५ आरोहणम मार्तण्डस्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...