रविवार, 29 अगस्त 2021

अंक पधारे प्रभु अवतारी 🦚 [ गीत ]

  

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 ✍️शब्दकार©

🦚 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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मातु    देवकी    की   बलिहारी।

अंक   पधारे     प्रभु  अवतारी।।


भादों       मास      अष्टमी   आई।

कृष्ण -  पक्ष    की   तिथि मनभाई।।

नखत     रोहिणी    निशि अँधियारी।

अंक        पधारे       प्रभु  अवतारी।।


कारागृह      में    कैद   पिता - माँ।

पवन  कर    रहा    बाहर साँ - साँ।

प्रकटे      ज्योति  -  रूप गिरिधारी।

अंक        पधारे      प्रभु   अवतारी।।


माँ   भयभीत   पिता   कम्पित  से।

सहमे     विष्णु-  रूप  - स्मित से।।

धर     शिशु    रूप   हुए शुभकारी।

अंक     पधारे     प्रभु    अवतारी।।


एक  - एक     सब  खुलते  ताले।

सोए        पहरेदार          निराले ।

मुक्त   जनक -  माँ  प्रभु भयहारी।

अंक    पधारे      प्रभु   अवतारी।।


उर   में     एक     विचार  सुझाया।

ओढ़ा   कर    शिशु  सूप सुलाया।।

चढ़ी     हुई      थी    यमुना  भारी।

अंक     पधारे       प्रभु  अवतारी।।


घटा   यमुन -  जल   छू  पद - पंकज।

शेषनाग का    सजा     छत्र  -  ध्वज।।

वर्षा       रुकी           निरंतर    जारी।

अंक       पधारे           प्रभु  अवतारी।।


नंद   -   यशोदा     का    घर  आया।

उर    में      अति     आनंद  समाया।।

घर  में    घुसे      उठा    शिशु प्यारी।

अंक        पधारे        प्रभु   अवतारी।।


शिशु    नवजात     लिटाया  माँ  तर।

अनायास            ओढ़ाया  आँचर।।

लौटे       मथुरा         पिता  सुखारी।

अंक      पधारे       प्रभु   अवतारी।।


 भोर    हुई      गोकुल   की गलियाँ।

मह मह    महक   रहीं   थीं कलियाँ।।

बजी    बधाई      घर   -   घर न्यारी।

अंक         पधारे        प्रभु अवतारी।।


कंस         सूचना      पा   घबराया।

श्रीकृष्ण        की     अद्भुत  माया।।

घन  -   घन       घंटे    बेला   थारी।

अंक         पधारे      प्रभु अवतारी।।


🪴 शुभमस्तु !


२९.०८.२०२१◆११.३० आरोहणम मार्तण्डस्य।


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