गुरुवार, 26 अगस्त 2021

हे गिरिधारी!कृष्ण मुरारी! ⛰️🦚 [ गीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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 हे गिरिधारी ! कृष्ण ! मुरारी!

चरण - वंदना   करें  तुम्हारी।।


अच्युत,अजय,अजन्मा स्वामी

अमृत,अनय,अंनत,  अकामी।

मोहन,   मुरलीधर,    कंसारी।

चरण - वंदना  करें   तुम्हारी।।


अक्षर, अपराजित ,  ज्ञानेश्वर।

हरि, गोपाल, मदन,योगेश्वर।।

मधुसूदन, केशव ,  अघहारी।

चरण - वंदना  करें  तुम्हारी।।


हे     जगदीश !    देवकीनंदन।

पद्महस्त, परब्रह्म ,  सनातन।।

सकल  वेदना    हरें    हमारी।

चरण -  वंदना  करें  तुम्हारी।।


वासुदेव,    सर्वज्ञ ,  जनार्दन।

   नारायण,  निर्गुण,नंदनंदन ।।  

विश्वरूप,  भव -  संकटहारी।

चरण - वंदना  करें  तुम्हारी।।


पद्मनाभ,  साक्षी , रविलोचन।

कमलनयन,सुमेध, मनमोहन।

दानवेन्द्र  ,करुणा -  अवतारी।

चरण -  वंदना   करें तुम्हारी।।


रमाकांत, गोपालक- प्रियवर।

हे ऋषिकेश! सुदर्शन,मनहर।

विश्वमूर्ति, सु-संत,सुखकारी ।

चरण - वंदना   करें  तुम्हारी।।


पुरुषोत्तम,  देवेश,  श्यामघन।

राधाप्रिय,रुक्मिणि के उर धन।

'शुभम' यशोदासुत बलिहारी।

चरण - वंदना   करें  तुम्हारी।।


🪴 शुभमस्तु !

२६.०८.२०२१◆१.००पतनम मार्तण्डस्य।




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