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✍ शब्दकार©
🐸 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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अँगुली पकड़ो राह चलाओ।
इनको कवि विख्यात बनाओ।।
दूध पी रहे नौनिहाल हैं।
आयु अभी बस साठ साल है।।
'आ' से कहना आम सिखाओ।
इनको कवि विख्यात बनाओ।।
अभी ककहरा पर आए हैं।
ग़ज़ल इश्क की कह पाए हैं।।
छंद - ज्ञान इनको करवाओ।
इनको कवि विख्यात बनाओ।।
तुम्हें मान लेंगे गुरु अपना।
सीखेंगे फिर होंगे सपना।।
वर्तनियाँ भी तो बतलाओ।
इनको कवि विख्यात बनाओ।।
अभी चरण धोकर पी लेंगे।
सब कुछ आप कहें, जी लेंगे।।
काव्य - व्याकरण इन्हें पढ़ाओ।
इनको कवि विख्यात बनाओ।।
लघु-गुरु गिनना वर्ण न आए।
कोई कितना भी समझाए।
पिंगल- ज्ञान 'शुभम' रटवाओ।
इनको कवि विख्यात बनाओ।।
कवि बनने का चाव बड़ा है।
झंडा ऊँचा किए खड़ा है।।
अब तो प्रभु का ध्यान लगाओ।
इनको कवि विख्यात बनाओ।।
गीत सुनाकर मोहें बाला।
पेट निकाले गप्पू लाला।।
कालिदास-सा 'शुभम' सजाओ।
इनको कवि विख्यात बनाओ।।
💐 शुभमस्तु !
01.09.2020 ◆2.00अपराह्न।
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