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✍️ शब्दकार ©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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कहते हैं परमात्मा, रहता है सब ठौर।
सभी चराचर में बसा,करें बात पर गौर।
राम कृष्ण अवतार हैं,ईसा बुद्ध महान,
हिन्दू मुस्लिम खोजते,कैसा आया दौर।
खुदगर्ज़ी पुजती यहाँ,पूजे पत्थर काग,
माथे पर महका करे,खुशबू वाली खौर।
शिरडी में साईं हुए,मुस्लिम कहते लोग,
क्या उनमें रब ही नहीं,ठीक नहीं ये तौर।
इंसाँ, कीड़े में सदा, होता रब का वास,
पत्ती, फूलों में रमा,शाख, मूल या बौर।
मज़हब में रब बाँटकर,लड़ता इंसाँ रोज़,
कहीं धूपबत्ती करे,कहीं डुलाता चौर।
'शुभं'धर्म वह है नहीं,जो बाँटे भगवान,
मसक कीर सा जीरहा,इंसाँ कीट बतौर
💐 शुभमस्तु !
26.09.2020 ◆11.15 पूर्वाह्न।
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