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✍️ शब्दकार©
🦜 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जय जय हिंदी हिंद की,जय जय हिंदी देश।
संस्कार के सूत्र में, रंग- बिरंगे वेश।।
चरण पखारे सिंधु-जल,सिर कश्मीरी केश।
हिंदी, हिंद प्रदेश में , देती शुभ संदेश।।
अवधी,ब्रजभाषा,खड़ी,भोजपुरी के बोल।
यू.पी.और बिहार में,रहे मधुर रस घोल।।
दिल्ली राजस्थान में,हरियाणे का हिन्द।
हिंदी से गुंजारता , पंज आब अरविंद ।।
छविकारी छत्तीसगढ़, मोहक मध्य प्रदेश।
हिंदी गाते नाचते, भेद नहीं लवलेश।।
मैथिल मिथिला देश में,करती हिंदी नाद।
कन्नौजी अवधी सजीं,निरत मधुर संवाद।।
मित्र शत्रु जो पास के,नहीं करें परहेज।
उर्दू के सँग बोलते, हिंदी खूब सहेज।।
कजरी,गीत,मल्हार के,होली फ़ागुन गीत।
समा बाँधते हिंद में,बना रहे उर मीत।।
गैया टेसूलाल की, भूसा खाती खूब।
पानी पीती ताल का, उसे न भाए दूब।।
बोती चकिया के तले, धनियाँ झाँझी नेक ।
जिन्हें खिलाती गाय को,करे दुग्धअभिषेक।
एकसूत्र में बाँधतीं, हिंदी भारत देश।
बहुभाषी बहुवेश में ,'शुभम' शिवम संदेश।।
💐 शुभमस्तु !
07.09.2020◆6.00अपराह्न।
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