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✍️शब्दकार©
🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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समय नहीं है हाथ में,समय उड़े बिन पंख।
नाद न करता जीभ से,नहीं बजाता शंख।
समय समय की बात है,ऊँचा कभी गिरीश।
फेर समय का जब पड़े,झुकता कुंजर शीश।
मनुज समय बर्बाद यों,करना मत पल एक।
पता नहीं किस शुभ घड़ी,काम करे तू नेक।।
समय नष्ट जिसने किया क्षमा न उसको एक
समय नष्ट करता उसे,जिसका पथ अविवेक
रखे हाथ पर हाथ क्यों,बैठा यों बेहाल।
समयचक्र अविराम है,देख समय की चाल।
समय ईश का नाम है,समय सत्य का नाम।
बिना समय है शून्यता,समय चले अविराम।
कर्मवीर के हाथ की, मुट्ठी में है बंद।
कर्महीन खोता उसे,समय सदा स्वच्छन्द।।
आठ प्रहर चौंसठ घड़ी,सबका समय समान।
कर्महीन कहता नहीं,नहीं समय का भान।।
दुख में लगती मंद गति,सुख में लगती तेज।
सुखदुख में जो एकसम जीते सुख की सेज
समय-समय सब खेलते,जीत नहीं है हार।
कोई घोंघा सीप ले , कोई ले उपहार।।
समय - साधना साधती, जीवन की हर कोर।
लय-गति में नर्तन करे,होता स्वर्णिम भोर।।
💐 शुभमस्तु !
19.09.2020◆ 6.30अप .
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