गुरुवार, 17 सितंबर 2020

प्रेम-बंधन [ गीत ]


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✍  शब्दकार ©

❤️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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प्रेम का बंधन अटल आराधना।

 जिंदगी भर मैं करूँ  तव साधना।।


तुम  कहो तो  गगन  तारे तोड़ दूँ।

तुम कहो तो सरित का रुख मोड़ दूँ।।

बस   समर्पण  की  रही  है भावना।

प्रेम  का बंधन अटल  आराधना।।


जोड़  तिनकों  को सजाएँ नीड़ हम।

शांति   खुशियों की  बसाएँ भीड़ हम।।

हो न ग़म की लेश भी संभावना।।

प्रेम का बंधन अटल आराधना।


स्वाति- चातक - सी  हमारी प्रीति हो।

हारना  ही  युगल  की  हर जीत हो।

स्वप्न  में मत प्रेम  -  देहरी लाँघना।

प्रेम का बंधन अटल  आराधना।।


मात्र  देना  जानता    ले    लो मुझे।

अपरिमित है देय मत  तोलो मुझे।।

तुम अगर हो   साथ कर लूँ  सामना।

प्रेम का बंधन अटल आराधना।


नेह  की  बाती   जलाती  दीप को।

स्वाति  मोती से सजाती  सीप  को।।

है   'शुभम'  आनंद   निजता त्यागना।।

प्रेम का बंधन अटल आराधना।।


💐 शुभमस्तु !


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