गुरुवार, 17 सितंबर 2020

शिल्पकार की पुण्य कृपा [ गीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🌹 डॉ भगवत स्वरूप 'शुभम'

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शिल्पकार  की पुण्य कृपा से,

इस  जग  का  निर्माण हुआ।

पुरुष-प्रकृति के संयोजन से,

निर्मित सबल  प्रमाण हुआ।।


एक  कोशिका   के  जीवों ने,

धरती    पर    जीवन  पाया।

घास   शिवार निराले फंगस,

सब में   नव जीवन  लाया।।

पादप, लता,वन्य, पशु, पंछी,

भूतल  पर   ही  त्राण हुआ।।

शिल्पकार की पुण्य कृपा से,

इस जग का  निर्माण हुआ।।


दीर्घ  काल उपरांत मनुज ने,

जग  में  आ  आकार लिया।

तिल-तिल कदम प्रगति के चढ़कर,

नवयुग  का  विस्तार   किया।।

स्वामी  बना सृष्टि का मानव,

चेतनता   का    प्राण  हुआ।

शिल्पकार की पुण्य कृपा से,

इस जग का  निर्माण हुआ।।


धर्म, कर्म,  विज्ञान,  नीतियाँ,

मानव  को    हित्कारी    हैं ।

मनमानी    से    दूर   हटाएँ,

इनकी      महिमा   न्यारी  है।।

धीरे - धीरे    तमस  हट रहा,

अभी न  पूर्ण प्रयाण  हुआ।

शिल्पकार की पुण्यकृपा से,

इस जग का निर्माण हुआ।।


बिच्छू,   साँप,  नेवले   आए,

अमृत    और   जहर  भी हैं।

हाथी,शेर,हिरन, जलमछली,

सरिता,सिंधु,  नहर   भी हैं।।

ऊँचे    पर्वत   से  गंगा - सी,

अपगा   का  पय पान हुआ।

शिल्पकार की पुण्य कृपा से,

इस जग का निर्माण  हुआ।।


चिड़ियाँ  चहक  रहीं पेड़ों पर,

बाग     महकते   फूलों    से।

कलकल कर बहतीं सरिताएँ,

वन   में    पौधे  शूल   लसे।।

माता -पिता  और संतति से,

इस जग  का कल्याण हुआ।

शिल्पकार की पुण्य कृपा से,

इस जग  का निर्माण हुआ।।


पंचभूत     से     देह    बनाई,

हवा,   धूप,    पानी     सारे।

सूरज,  चाँद ,रात ,दिन सुंदर,

नभ   में   चमक   रहे तारे।।

लगातार यह धड़क रहा उर,

क्यों  इतना   पाषाण हुआ ?

शिल्पकार की पुण्य कृपा से,

इस जग का निर्माण हुआ।।


आओ   जग को स्वर्ग बनाएँ,

ईश्वर     के     आभारी    हों।

सत्यं     शिवं   सुंदरम  लाएँ,

इनकी   महिमा    भारी  हो।।

'शुभम' जीएँ  जीवन को ऐसे,

आदर्शों   का   त्राण     हुआ।

शिल्पकार की पुण्य कृपा से,

इस जग का   निर्माण हुआ।।


💐 शुभमस्तु !


17.09.2020 ◆8.00पूर्वाह्न।

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