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✍️ शब्दकार©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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ज़र्रे-ज़र्रे में रब है भली कहता है।
मेरा दिल कितना सही कहता है।।
राम में कृष्ण में आस्था तो रखिये,
तेरी बिगड़ी बनेगी यही कहता है।
ईंट-पत्थर में भी हमें दिखता वही,
जिसकी जैसी मति वही कहता है।
एक ही नूर से ब्रह्मांड है बना सारा
कौन है जो ये राज नहीं कहता है।
जाति, मज़हब में बाँटता है रब को,
नादां है जो खुद को सही कहता है।
काग ,चीलों को पूजता खुदगर्ज़ यहाँ,
इंसान को इंसान नहीं कहता है।
दोगली बातें तो खोखली हैं तेरी,
खो गया सच तेरा 'शुभम'यही कहता है।
💐 शुभमस्तु !
26.09.2020◆9.30 पूर्वाह्न।
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