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✍️ शब्दकार ©
🏕️ डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
भारत बसता गाँव में,कह देते हैं लोग।
गाँव छोड़कर शहर में,रहते करते भोग।।
रहते करते भोग, गाँव क्यों रास न आए।
साधन सुविधापूर्ण,शहर ही सबको भाए।।
'शुभम'गाँव का हाल,सुधारें मत हों आहत।
मनहर होंगे गाँव, बनेगा सुंदर भारत।।
-2-
भारत का हर गाँव ही,भरता सबका पेट।
फल,सब्जी याअन्न की,करता है शुभ भेंट।।
करता है शुभ भेंट, दूध , दालें भी देता।
सस्ता बेचे दीन, वस्तु मँहगी वह लेता।।
'शुभम' ठग रहे लोग,कृषक है भारी आहत।
हुआ प्रशासन पंगु, गर्त में जाता भारत।।
-3-
भारत गाँवों में बसे ,कहकर ठगते लोग।
जनगण मन बीमार है,फैल रहे हैं रोग।।
फैल रहे हैं रोग,चिकित्सक नर्स न कोई ।
असमय मरते दीन, गाँव की जनता रोई।।
'शुभम' कमीशनखोर,चूसते जनता का सत।
आश्वासन का खेल,वोट दे गिरता भारत।।
-4-
भारत के सब गाँव तो, बने दुधारू गाय।
पय पी बेघर छोड़ते, शेष गाँव में हाय।।
शेष गाँव में हाय, चाय भी उन्हें न मिलती।
ठांय-ठांय से लूट,रूह नारी की छिलती।।
'शुभम' बंद सब द्वार,जिंदगी होती गारत।
नेता करते ऐश , गाँव का लुटता भारत।।
-5-
भारत के हर गाँव का, बड़ा बुरा है हाल।
मच्छर नित ग़जबज करें,रोग बने हैं काल।।
रोग बने हैं काल, नहीं शौचालय सुथरे।
उपले ईंधन बंद, हाथ लोटा ले निकरे।।
'शुभम' न बदली सोच,जुए सट्टे में वे रत।
कैसे हो उद्धार, बने सुंदर मम भारत।।
💐 शुभमस्तु !
30.09.2020 ◆9.45पूर्वाह्न।
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