मंगलवार, 29 सितंबर 2020

फूलों का संसार निराला [ बालगीत ]

 

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✍️ शब्दकार ©

🌻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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फूलों  का    संसार   निराला।

पूजा   करें   सजाएँ   माला।।


ऋतु -ऋतु के हैं फूल निराले।

रंग -  बिरंगे   खुशबू   वाले।।

प्रकृति ने   नव   जादू  डाला।

फूलों  का   संसार  निराला।।


गेंदा,  जूही  ,  चंपा ,   बेला।

है  गुलाब महका अलवेला।।

पीला, लाल ,गुलाबी ,काला।

फूलों का  संसार   निराला।।


गुलमहदी , कनेर  है  भाती।

देखो   छुईमुई     शरमाती।।

श्वेत  चाँदनी   करे  धमाला।

फूलों  का  संसार  निराला।।


फूलों  से   सब्जी  फ़ल आते।

आम  रसीले   सबको  भाते।।

लौकी , भिंडी   बैंगन  काला।

फूलों का   संसार   निराला।।


फूलों   में   नर  - मादा  होते।

सृजन - बीज  माटी में बोते।।

क्रिया- परागण ने सब ढाला।

फूलों  का  संसार  निराला।।


चिड़ियाँ,कीट,तितलियाँ आतीं।

क्रिया -  परागण  हाथ बँटातीं।।

सृजन- बिंदु का खुलता ताला।

फूलों    का  संसार  निराला।।


व्यर्थ   नहीं  फूलों  को तोड़ें।

डाल नहीं  पौधों   की मोड़ें।।

'शुभम' नेह से भर दें प्याला।

फूलों  का  संसार  निराला।।


💐  शुभमस्तु !


29.09.2020 ● 6.15 अपराह्न।

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