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✍️ शब्दकार ©
☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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सज्जन सलज सजनियो आओ।
हिंदी की बगिया महकाओ।।
हिंदी है अभिमान हमारा।
हिंदी है सम्मान हमारा।।
हिंदी सीखो और सिखाओ।
हिंदी की बगिया महकाओ।।
संस्कार है अपना हिंदी।
चमके ज्यों ललाट पर बिंदी।
हिंदी का नित मान बढ़ाओ।
हिंदी की बगिया महकाओ।।
तुम हिंदी से तुमसे हिंदी ।
रहते भारत में सब हिंदी।।
कविता,गीत,मल्हार सुनाओ।
हिंदी की बगिया महकाओ।।
अपनी माता , माता होती ।
जगा रही नित उज्ज्वल मोती।
ज्योति जगत भर में फैलाओ।
हिंदी की बगिया महकाओ।।
दादा - दादी नाना - नानी।
हिंदी में कह रहे कहानी।।
माता-पिता, बंधु -बहनाओ।
हिंदी की बगिया महकाओ।।
💐 शुभमस्तु !
07.09.2020 ◆3.00 अपराह्न।
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