गुरुवार, 10 सितंबर 2020

पितर-अशीष:तथास्तु [अतुकान्तिका]


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✍️ शब्दकार©

🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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श्रद्धा के

ये कुछ सुमन,

आपके लिए

किए हैं अर्पण,

जहाँ भी हो

जिस लोक में

जिस रूप में

जानते हम नहीं,

बस स्वीकार करें

ये श्रद्धा -सुमन।


हे पितर!

आपका ही

पुण्य -प्रताप,

हमारे जीवन का

जाप,

करते रहें 

हम स्मरण

आपका,

 ये कुछ

 सुमन अर्पण।


आप 

आजीवन तपे,

रात -दिन

जिए खपे,

आपने 

जो भी

दिया है हमें,

वही है पाथेय 

भी हमें,

इस जमीं पर,

नहीं होंगे

हम उऋण आपसे।


सूक्ष्म देहधारी 

 हे पूज्य पितर!

रहे हो  

तुम स्वच्छन्द 

नील गगन में विचर,

मध्याह्न में

और निशीथ के समय,

कहते हुए

कुछ शुभ शब्द 

उच्चरण,

नहीं हम सुनते,

ध्वनि जो

गुंजरित हो रही,

बस यही -

तथास्तु !

तथास्तु!!

शुभमस्तु !

शुभमस्तु !!


💐 शुभमस्तु !


10.09.2020◆11.00पूर्वाह्न।

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