रविवार, 11 दिसंबर 2022

चार जने क्या कुछ कहें! 🍀 [ दोहा गीतिका ]

 522/2022

 

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✍️ शब्दकार ©

🌱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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चार जने क्या कुछ कहें,सोच-सोच कर लोग

सूखें  चिंता  में  सभी,लगा मानसिक   रोग।।


देखें  बाहर  झाँक कर,  अपनी नज़रें  गाड़,

जैसे हम हैं कर रहे,छिप छिप कर अभियोग


हमें   देखना   है  सदा, अपना कर्म - प्रवाह,

भला- बुरा सब जानते,तदनुरूप  है  भोग।


लोगों   की  अवधारणा , से चलना   दुश्वार,

उचित  तुम्हें  जो भी लगे, वही तुम्हारे  जोग।


अपना हृदय निकाल दें, लगते फिर भी दोष,

जग काजर  की कोठरी, देगा हर पल  सोग।


अपनी  वाणी  कर्म  से, दे  न सकोगे  हर्ष,

सदा  बुरा  दुनिया  कहे,हमने किए  प्रयोग।


'शुभम्'अंत में चार जन, अर्थी धर के कंध,

कहें  राम   ही  सत्य है,  झूठी शंसा  योग।


🪴 शुभमस्तु!


11.12.2022◆4.45 प.मा.


🦢🦢🧡🦢🦢🧡🦢🦢🧡

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