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✍️ शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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जनमत की सरकार हमारी।
करती पूर्ण व्यवस्था सारी।।
सीमा पार सुरक्षा करती।
दीन -हीन के दुख भी हरती।।
देशभक्त मंत्री अधिकारी।
सेवक भारत के नर - नारी।।
बन जनस्वामी क्या कर पाए?
लूट - लूट धन घर में लाए।।
भरें नोट सोने से कमरे।
चूस रहे वे जैसे भँवरे।।
शोषक क्या सरकार चलाएँ?
यथाशक्य संतति धन खाएँ।।
एक व्यक्ति सरकार न होता।
यदि होता काँटे ही बोता।।
मिलकर जन सरकार बनाते।
जनहित के सब काम कराते।
मनमानी सरकार नहीं है।
सुरसरि सिंचन हेतु बही है।।
'शुभम्'न निज को ईश्वर माने।
अपने जैसा सबको जाने।।
🪴शुभमस्तु!
19.12.2022◆11.30 आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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