सोमवार, 12 दिसंबर 2022

फल जब पक जाता है 🥭 [ गीत ]

 526/2022


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✍️ शब्दकार ©

🥭 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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फल    कच्चा     जब  पक  जाता है।

वही    बाग        को    महकाता  है।।


जो    विकास    के    पथ  पर बढ़ता।

उच्च     शृंग       के      ऊपर  चढ़ता।।

लक्ष्य      प्राप्त     कर  मुस्काता    है।

वही     बाग         को   महकाता है।।


शिशु     किशोर   वय    होती   कच्ची।

कहलाते            वे      बच्चे -  बच्ची।।

तब      यौवन    का    रँग    छाता   है।

वही       बाग      को     महकाता   है।।


सोपानों         को        मंजिल     माने।

पाने     का       रस      क्या   पहचाने??

बैठ        राह       में     अँगड़ाता     है।

वही       बाग     को    महकाता      है।।


बढ़ते           जाना      ही     जीवन   है।

नर   -  नारी       का     सच्चा   धन  है।।

गीत        प्रीति      के    वह   गाता है।

वही        बाग      को    महकाता    है।।


'शुभम्'      वृद्ध      को    नहीं  नकारो।

महके       बिना      नहीं       यों   मारो।।

घर    -    परिजन   का  वह त्राता     है।

वही       बाग      को    महकाता    है।।


🪴 शुभमस्तु!


12.12.2022◆115पतनम मार्तण्डस्य।

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