546/2022
[आमंत्रण,अभ्यर्थना, आचमन,अंजन, अंगीकार]
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✍️ शब्दकार ©
🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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🍑 सब में एक 🍑
आमंत्रण नववर्ष का,विदा विगत बाईस।
सभी सुखी सानंद हों,साथ तीन के बीस।।
सादर आमंत्रण करें, माता आओ द्वार।
वीणावादिनि भारती, सुखी करें संसार।।
हाथ जोड़ अभ्यर्थना,करते हम जगदीश।
रोग मुक्त कर विश्व को,नासें कष्ट कपीश।।
सुनते प्रभु अभ्यर्थना,उर से कर उच्चार।
वर्षा हो आंनद की, सुखी रहे परिवार।।
गंगाजल का आचमन, करके किया विचार।
अहित न हो मुझसे कभी,सबका करूँ सुधार
देवार्चन से पूर्व ही, करें आचमन मीत।
तन-मन को निर्मल करें,उर भी रहे सतीत।।
अंजन आँखों में सजा,खंजन-से तव नैन।
उर ज्यों पावन शारदा, कोकिलवत हैं बैन।।
आँखों में आँजा शुभे!तुमने अंजन स्याह।
कुंतल श्यामल मेघ-से,मुख से निकले वाह।।
तुमको अंगीकार कर,जाग्रत मम सौभाग्य।
मिलें एक से एक दो , एकादश भावज्ञ।।
सच्चे तन-मन से प्रिये! करके अंगीकार।
'शुभम्' बनाया जीव को,ग्रहण करें आभार।।
🍑 एक में सब 🍑
अंजन अंगीकार दृग,
किया आचमन नीर।
आमंत्रण माँ शारदे,
अभ्यर्थना अधीर।।
🪴 शुभमस्तु !
28.12.2022◆ 5.30 आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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