बुधवार, 7 दिसंबर 2022

दिनकर दिन को देने वाला 🌞 [ बालगीत ]

 511/2022


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✍️शब्दकार ©

🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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दिनकर  दिन   को  देने वाला।

होता  विदा  लगा  नित ताला।।


किरण  उषा की ज्यों ही आती।

यहाँ   वहाँ   उजियारी   छाती।।

मिट  जाता   अँधियारा  काला।

दिनकर  दिन  को   देने वाला।।


नहीं  आँख  से कुछ दिख पाता।

जब  जग  में  तम काला छाता।।

घोल   अँधेरा   दिन  पर डाला।

दिनकर    दिन   को  देने वाला।।


दिन  होते   हम  सब जग जाते।

अँगड़ाई       लेकर   अलसाते।।

छँट   जाता  तब तम का जाला।

दिनकर   दिन   को   देने वाला।।


खिलतीं  कलियाँ  चिड़ियाँ बोलें।

चूँ -चूँ   चीं-चीं   कर    रस घोलें।।

बहता     पवन      बड़ा  मतवाला।

दिनकर   दिन    को देने   वाला।।


नित्य       नहाकर    पढ़ने  जाते।

गुरुजन     हमको     पाठ पढ़ाते।।

जाते     हम      मंदिर   ले  माला।

दिनकर     दिन    को   देने वाला।।


🪴शुभमस्तु!


06.12.2022◆6.00प.मा.


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