521/2022
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✍️ शब्दकार ©
🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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कृष्ण देह में आत्मा, राधा - राधा नाम।
और नहीं कुछ कामना, बस श्री राधे- धाम।।
शब्द- शब्द में कृष्ण का,है समस्त अस्तित्व,
राधा जी हैं अर्थ की,अनुपम छटा ललाम।
कृष्ण गीत बन गूँजते,सकल सृष्टि के बीच,
राधा ही संगीत हैं, वीणा धर अविराम।
हैं वंशी साक्षात प्रभु,कृष्ण मुरारी नित्य,
राधा स्वर बन गूँजतीं, कहते यह घनश्याम।
सागर कृष्ण कृपालु का,प्रसरित ये ब्रह्मांड,
राधा वहाँ तरंग हैं, हर विहान से शाम।
कृष्ण फूल के रूप में,विकसे शुभद स्वरूप,
राधा सदा सुगंध का,बरसाने का गाम।
'शुभं'नित्य भज कृष्ण को,राधा को मत भूल
जीव और जीवन वही, अपने सीता राम।।
🪴शुभमस्तु!
11.12.2022◆3.00
पतनम मार्तण्डस्य।
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