गुरुवार, 1 अगस्त 2024

अमेरिका की नज़रों में [अतुकांतिका]

 328/2024

      


©शब्दकार

डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'


अमेरिका की नजरों में

तुम महान हो,

भले ही अपने घर में

फटेहाल किसान हो,

भीतर कुछ और

बाहर से सिरमौर,

किया है कभी गौर ?


बेरोजगारी का तांडव,

मंहगाई छूती आसमान,

अमीरों की शादियों में

तना हुआ धन का वितान,

शिक्षा एक उद्योगधंधा

शिक्षा का कहाँ

नामोनिशान!

बढ़ते हुए भिखारी

जय जवान जय किसान!


पाशविक सभ्यता

खड़े - खड़े  आहार,

खड़े -खड़े विसर्जन

ये कैसा आचार,

अमेरिका वही देखेगा

जो यथार्थ को दबाकर

दिखाया जाएगा!

यही हैं आज के  समाचार।


न सावन में सावन

न फागुन में फागुन,

ऊँच नीच जातिपाँति

छुआछूत प्लावन,

कोई शूद्र क्षत्रिय 

बनिया या बाँभन,

किंतु कोई 

नहीं मानव,

तो मानवता कहाँ ?


राजनेताओं का भ्रमजाल

निरन्तर कदम ताल,

एक अद्भुत मिसाल,

देश भले हो निढाल,

अमेरिका की नजरों में

मेरा भारत महान!


शुभमस्तु !


30.07.2024●6.45प०मा०

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